एक बार फिर अपना हाँ मेरा अपना बचपन याद आया
वो माँ का प्यार पापा की उंगुली पकड़ चलना याद आया
मुझे फिर वही हाँ वही अपना बचपन याद आया
याद आती है वो दोस्तों की टोली, वो बच्चों वाले खेल
रेत से बनाये वो घर, वो अपनापन वो बचपन
हाँ वो मेरा अपना बचपन
याद आये मुझे फिर से गुड्डे गुडिया अपने
और उनकी शादी करने जैसे हुआ करते वो सपने....
वो गुड्डे-गुडिया की शादी के खेल, वो मस्ती भरे पल याद आये
हाँ मुझे फिर से वो खुशियों भरे पल याद आये
याद आया मुझे मेरा हाँ वो मेरा अपना बचपन
काश होती मैं वापस उस बचपन में, जहाँ ना होता था कुछ तेरा-मेरा
जहाँ सब थे अपने ना था कोई भी पराया, याद आता है वो बात बात पर रोना बचपन का
दिल को छू जाती है अब तो छोटी सी बात कोई, अब इतनी छोटी-बड़ी बातें होती पर मैं ना रोई...
काश ये यादें सिर्फ यादें ना होती, तो माँ की गोद में फिर से मैं एक बार सर रखकर रोती
मेरा वो बचपन अभी भी मेरे साथ होता, काश मेरा बचपन फिर मेरे पास होता
मुझे फिर अपना बचपन याद आया हाँ वो मेरा अपना बचपन मुझे याद आया ...
hey its really very soft n near to heart......n ur picture makes a perfect combination of innocence........nice attempt...:)
ReplyDeleteThanx Promsy !!!
ReplyDeletearey...I got thanx........my goodness....yar saadi toh destiny hi change ho gyi...yar kitna fank rhi hu na m....
ReplyDeleteReally nice yar....
ReplyDeleteheart touching... as everyone wana go back in their childhood... n its a clear view....
realy nice one..........
ReplyDeletefull of emotions.......