Saturday, February 20, 2010

एक अनकही कहानी सी !!!

एक अनकही कहानी सी, 
पर है जानी-पहचानी सी 
सब की जुबानी सुनी सी, 
पर है फिर भी अनसुनी सी 
कभी हाँ तो कभी ना, 
कभी ऐसी तो कभी वैसी 
ये ज़िन्दगी है एक पहेली, 
एक अनसुलझी पहेली सी
कभी रोना कभी हसना है, 
कभी छुपाना तो कभी जाताना है 
कभी आना कभी जाना है, 
कहीं रूठना तो कहीं मानना है 
यहाँ कोई अपना कोई पराया है, 
कोई अपना होकर भी इतना बेगाना है 
कहीं प्यार की बहती नदियाँ, 
तो कहीं नफरत का अंगारा है 
क्या ये जागती आँखों से देखा एक सपना है
क्यूँ कोई दिल को लगता है अपना सा 
क्यूँ कोई अपने को है इतना प्यारा सा 
क्यूँ उसी के आने का इंतज़ार है 
क्यूँ इस भीड़ में एक वही लगता अपना है
कैसी ये उलझन कैसा ये भंवर है 
जो है अपना उसी को खोने का डर है 
ये ज़िन्दगी एक सपना है, 
एक उलझा एक अनकहा सपना ही तो है
है एक अनसुलझी पहेली सी 
ये ज़िन्दगी एक अनकही पहेली सी ...

9 comments:

  1. अच्छा लिखा है उम्मीद है आगे भी ऐसी रचनाएं लिखती रहेंगी

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  2. nice....welcome this sensitive poem...

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  3. Babes u toh got compliements..ummmmmmmmmmmmm...
    what shud i say?..........accha likha h ya phir nice attempt..or hmmm gud..or ......ummmmmmmmmmmmmmmmmm.......bole toh tussi cha gye jiiii

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  4. एक अनकही कहानी सी, पर है जानी-पहचानी सी
    सब की जुबानी सुनी सी, पर है फिर भी अनसुनी सी
    कभी हाँ तो कभी ना, कभी ऐसी तो कभी वैसी
    ये ज़िन्दगी है एक पहेली, एक अनसुलझी पहेली सी
    yahi to teri meri kahani hai..ek dhundse aana hai,ek dhundme jana hai..

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  5. abe yaar iti tumne likhi hai.. vishwas nahi hota .. sach bata kanha se tapi hai :)... achhca mail karke batana sabse samne nahi batana.. jokes apart .. bahut achchi hai ..awesome ..... gud yaar .. Chha gaye..:)

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  6. thanx ankit....yaar tumhe itna time to mila

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  7. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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