ज़िन्दगी इस कदर हमको रुलाती रही
हर ख़ुशी पास आने से पहले दूर जाती रही
ग़म से नाता है शायद अपना पिछले जन्म से
तभी तो हर ख़ुशी ग़म में बदल जाती रही
चाहा जो कुछ भी हमने न मिला हमको
एक अधूरी सी चाहत बन के रह गया सब कुछ
की कोशिश कभी हमने जीतने की कुछ भी
तो
हमारी ही किस्मत आ कर हमें हराती रही
लड़ भी लेते हम मूकदर से
गर कोई अपना होता
और बदल भी देते हम शायद अपनी तकदीर को
पर भागते रहे जिस मंजिल को पाने की खातिर
वो मंजिल भी हमसे दूर जाती रही
ऐसा नहीं के कोई नहीं था हमारा यहाँ
हर रिश्ता है बनाया और अपनाया हमने
और हर रिश्ते की खातिर खुद को भी है मिटाया हमने
पर शायद कच्ची रह जाती थी गाँठ हर रिश्ते की
जो थोडा सा खींचने पे ही खुल जाती रही
बहुत रोये है हम हँसने के बाद हर वक़्त
और बहते भी रहे है यह बेवफा आंसू इन आँखों से
पर एक यह हंसी शायद वफादार है अपनी
जो हस हस के हर ग़म को छुपाती रही !!!